Tuesday, December 21, 2010


सचिन, तुझे सलाम !


उसके चेहरे की मासूमियत देख कोई नहीं कह सकता कि ये बंदा तीस पार की उम्र में चल रहा है. हिन्दी हो या इंग्लिश, लैंग्वेज पर उसकी जबर्दस्त कमांड को देख शायद आप समझेंगे कि वो किसी यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर है पर बहुत कम लोगों को पता है कि वो ग्रेजुएट भी नहीं है. उसकी स्टाइलिश वियरिंग्स या बॉडी लैंग्वेज देख कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि सामने वाला एक जमाने में किसी मिडिल क्लास फैमिली को बिलॉन्ग करता था. फैमिली कहने के साथ याद आया अपनी वाइफ के साथ उसकी केमेस्ट्री इतनी बेहतरीन है कि आप को एहसास ही नहीं होगा कि वो अपनी बेटर हाफ से तकरीबन पांच साल छोटे हैं. दोनों का मैच्योर बिहेवियर इस बात की तस्दीक करता है कि वे अपनी सोशल रिस्पॉन्सबिलिटीज को लेकर कितने कमिटेड हैं. ये सब उनकी जिदंगी का एक हिस्सा है. जहां फीलिंग्स हैं, सेंटिमेंट्स हैं और है हम्बलनेस.उनकी लाइफ का एक अदर साइड है जिसमें सिर्फ और सिर्फ डेटाज हैं. मिनट दर मिनट का हिसाब है. घंटे से बढ़ते हुए दिन में, फिर साल में और फिर डिकेड््स में तब्दील होते इन डेटाज को रिकॉर्ड बुक समेट नहीं पा रहे हैं. आज उस शख्स के बारे में इतना सब कुछ लिखे जाने की वजह भी ये डेटाज ही हैं. उनका कोई हिसाब किताब दस बीस में नहीं होता, सैकड़े में होता है. इस सैकड़े का लेखा जोखा भी वो अब हाफ सेंचुरीज में करने लगे हैं. उम्र के एक खास पड़ाव पर आने के बाद जहां लोग टेन टू फाइव की ड्यूटी करना पसंद करते हों 11 लोगों से ये आदमी मैदान पर कई कई घंटे अकेले जूझता रहता है. जाने कितने हजार शॉर्ट पिच, बीमर और बाउंसर जैसे मिसाइल्स झेल चुके इस बंदे का जिस्म भी अब लगता है कि अग्नि पिंड बन चुका है. उसकी इन्हीं सब खासियतों को देख लोग उन्हें भगवान कहते हैं पर विनम्रता की यह प्रतिमूर्ति नीली छतरी वाले का शुक्राना अदा करता नहीं अघाता. क्या हमें बताने की जरूरत है कि वो है कौन? ऐ सचिन तेन्दुलकर सेंचुरीज की हाफ सेंचुरी पर यह धरा तुम्हे झुक कर सलाम करती है.

No comments:

Post a Comment