Thursday, February 11, 2010

हां, हमें मोहब्बत है

हेडिंग पढ़के हो गये ना परेशान? नहीं भई, किसी के साथ अफेयर वह भी इस उम्र में? तौबा-तौबा. अरे मैं अभी जिंदा रहना चाहता हूं यार. लेकिन आज आपको बताऊं, पिछले दो-चार दिनों से इस एक सेंटेंस ने मुझे अंदर से जैसे मथ डाला है. अलसुबह अखबार पढ़ते हुए एक हेडिंग पर जाकर जैसे मेरी निगाह टिक गयी. लिखा था - हां, मुझे उससे मोहब्बत है. इश्क का यह एकसेप्टेंस फ्रिडा पिंटो की तरफ से था. उसने यह कह तो दिया लेकिन उसमें एक झिझक थी. हां, देव पटेल मेरे सपनों का राजकुमार है और मैं उससे बेपनाह मोहब्बत करती हूं. इस खबर ने मुझे बॉलीवुड की किसी फिल्म की तरह फ्लैशबैक में पहुंचा दिया. देर तक एक ही खबर पर अटके देख पत्नी ने पूछ ही लिया क्या बात है तबियत तो ठीक है? मैंने भी अखबार दिखाते हुए गौतम बुद्ध के शिष्य आनंद के अंदाज में सवाल दाग दिया, इतनी देर कर दी रहनुमा आते आते?पत्नी भी कम नहीं, उसने तुरंत तथागत का चोला ओढ़ते हुए कहा जानते हो वत्स इसकी असली वजह है संकोच. यह देव पटेल और फ्रिडा पिंटो की ही नहीं इस पूरे इंडियन सब कॉन्टीनेंट की यूनिवर्सल प्रॉब्लम है. यहां का जीव बेहद संकोची होता है. वह वेस्टर्नाइज चीजें पसंद करता है. उसके हावभाव अपनाता है. स्टाइल मारने में भी वह भी किसी ब्रिटिश या अमेरिकन को कॉपी करता है लेकिन एक चीज है जो उसे सबसे अलग रखती है और वो है पर्देदारी. पत्नी एक्स्टएम्पोर बोले जा रही थी और मैं योग्य शिष्य की तरह सुने जा रहा था. जानते हो यह पर्देदारी काहे की है. इसमें एक हया है, एक लिहाज है, और है एक अदब. किसी जिज्ञासु की तरह मैंने फिर एक सवाल दाग दिया. तो क्या उन्हें इसके पहले इश्क नहीं था? अगर था तो वो इतने लम्बे समय तक क्यों छिपाये रहे? देखो यह हमारे संस्कारों में नहीं है. ह्यूमन साइको के बेस पर हम कह सकते हैं कि देव और फ्रिडा के बीच पहली नजर में ही प्यार हो गया था. ब्रिटेन में पलने बढऩे से हर कोई अंग्रेज थोड़े हो जाता है. शायद यही वजह है कि देव और फ्रिडा ने इश्क के इस अहसास को भरपूर महसूस किया उसकी सोंधी खुशबू को गमकाया और तब जाकर कहा, हां हमें मोहब्बत है. अब तुम्ही सोचो न यह कोई आमिर खान और उर्मिला मातोंडकर की मुम्बइया फिल्म 'रंगीलाÓ की कहानी तो है नहीं जो 70 एमएम पर देखे और फिर भूल गए. यह रियल लाइफ की स्टोरी है. इसमें जो कहा जाता है उसके बहुत मायने होते हैं. इसके अलावा यह सेलेब्रेटी लोगों की दुनिया है यहां बात का बतंगड़ बनते देर नहीं लगती. ऐसा क्यों है? देखो यह जो इश्क है ना, वह स्प्रिचुअल चीज है. यह आम दुनियावी लोगों के पल्ले नहीं पड़ती. इसीलिए देखते होगे एक दूसरे को चाहने वाले दो जवां दिलों के ढेर सारे विरोधी होते हैं. कह सकते हो कि जिसने इश्क की तासीर को महसूस किया वो इस दुनिया के काबिल नहीं रहता. वह अपनी ही दुनिया में डूबता उतराता रहता है. अब तुम फिर सोच रहे होगे कि यार इतनी सी बात को कहने में इत्ती देर. दोस्त इसकी वजह भी हमारा हिन्दुस्तानी संस्कार है. यहां किसी से अफेक्शन कंसीव करना आसान है पर उसे एक्सप्रेस करना बेहद मुश्किल. इसमें बहुत सी बातें हैं जो रोड़े अटकाती हैं.एक और खासियत हम हिन्दुस्तानियों की है. हमारे मन में लेडीज के प्रति एक अलग जज्बा है और एक खास अदब है. यह अदब और जज्बे का भाव ही हमें किसी से अपने अफेक्शन का ऐलान करने से रोकता है. यह अदब अपोजिट सेक्स से रिश्ते को एक गरिमा देता है. तमाम शिकवा शिकायतों के बावजूद एक इंडियन कपल रिश्तों की डोर को टूटने से हर हाल में बचाता है. वह अपने मसलहतों को बेदर्द कानून के दायरे के बजाय आपस में मान मनुहार से सुलझाने में ज्यादा भरोसा करता है. यही सारी वजहें है जो भारतीय जोड़ा अपनी मैरिज की गोल्डन एनिवर्सरी मनाता है जबकि वेस्टर्न कंट्री का बाशिंदा अपने पार्टनर के नम्बर गिनने में ही जिंदगी काटता है.पत्नी चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी और मैं अपने ही ख्यालों में गहरे और ज्यादा गहरे डूबता चला जा रहा था. उठे हुए हाथ सलाम किये जा रहे थे, भारतीय संस्कारों को, शर्मो हया को, लिहाज को और अदब को. अचानक जैसे एक सपना टूटा और ये आवाज आयी ऐ मोहब्बत तू जिंदाबाद.

1 comment:

  1. wah, article behad umda hai. iske ek ek shabd me bahut gaharai chhupi hai. ek baar padhne k baad phir se padhne ka maan karta hai

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