फकीर बन कर तुम उनके दर पर
फकीर बन कर तुम उनके दर पर हजार धुनि रमा के बैठो
जबीं के लिक्खे को क्या करोगे जबीं का लिक्खा मिटा के देखो
ऐ उनकी महफिल में आने वालों ऐ सूदो सौदा बताने वालों
जो उनकी महफिल में आ के बैठो तो, सारी दुनिया भुला के बैठो
बहुत जताते हो चाह हमसे, मगर करोगे निबाह हमसे
जरा मिलाओ निगाह हमसे, हमारे पहलू में आके बैठो
जुनूं पुराना है आशिकों का जो यह बहाना है आशिकों का
वो इक ठिकाना है आशिकों का हुज़ूर जंगल में जा के बैठो
हमें दिखाओ न जर्द चेहरा लिए यह वहशत की गर्द चेहरा
रहेगा तस्वीर-ए-दर्द चेहरा जो रोग ऐसे लगा के बैठो
जनाब-ए-इंशा ये आशिकी है जनाब-ए-इंशा ये जिंदगी है
जनाब-ए-इंशा जो है यही है न इससे दामन छुड़ा के बैठो
इब्ने इंशा
Wednesday, August 4, 2010
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