
मिसाल इसकी कहां है....
मिसाल इसकी कहां है जमाने में
कि सारे खोने के गम पाये हमने पाने में
वो शक्ल पिघली तो हर शै में ढल गयी जैसे
अजीब बात हुई है उसे भुलाने में
जो मुंतजिर न मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा
कि हमने देर लगा दी पलट के आने में
लतीफ था वो तखय्युल से, ख्वाब से नाजुक
गंवा दिया उसे हमने ही आजमाने में
समझ लिया था कभी एक सराब को दरिया
पर एक सुकून था हमको फरेबखाने में
झुका दरख्त हवा से, तो आंधियों ने कहा
ज्यादा फर्क नहीं झुक के टूट जाने में
- जावेद अख्तर
मिसाल इसकी कहां है जमाने में
कि सारे खोने के गम पाये हमने पाने में
वो शक्ल पिघली तो हर शै में ढल गयी जैसे
अजीब बात हुई है उसे भुलाने में
जो मुंतजिर न मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा
कि हमने देर लगा दी पलट के आने में
लतीफ था वो तखय्युल से, ख्वाब से नाजुक
गंवा दिया उसे हमने ही आजमाने में
समझ लिया था कभी एक सराब को दरिया
पर एक सुकून था हमको फरेबखाने में
झुका दरख्त हवा से, तो आंधियों ने कहा
ज्यादा फर्क नहीं झुक के टूट जाने में
- जावेद अख्तर
Wah lajawab
ReplyDeletewah lajawab
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