Tuesday, June 8, 2010



तेरी याद में...
हमने काटी है तेरी याद में रातें अक्सर
दिल से गुजरी है सितारों की बारातें अक्सर
और तो कौन है जो मुझको तसल्ली देता
हाथ रख देती है दिल पर तेरी बातें अक्सर
हुस्न शाइस्ता-ए-तहजीब-ए-अलम है शायद
गमजदा लगती है क्यों चांदनी रातें अक्सर
हाल कहना है किसी से तो मुखातिब हो कोई
कितनी दिलचस्प, हुआ करती हैं बातें अक्सर
इश्क रहजन न सही, इश्क के हाथों फिर भी
हमने लुटती हुई देखी हैं बारातें अक्सर
हमसे इक बार भी जीता है न जीतेगा कोई
वो तो हम जान के खा लेते हैं मातें अक्सर
उनसे पूछो कभी चेहरे भी पढ़े हैं तुमने
जो किताबों की किया करते हैं बातें अक्सर
हमने उन तुन्द हवाओं में जलाये हैं चिराग
जिन हवाओं ने उलट दी हैं बिसातें अक्सर
- जाँ निसार अख्तर

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