Friday, June 25, 2010


मैं जहां तक तुम को बुलाता हूं...


मैं जहां तक तुम को बुलाता हूं, वहां तक आओ
मेरी नजरों से गुजर कर, दिल-ओ-जां तक आओ
फिर ये देखो कि, जमाने की हवा है कैसी
साथ मेरे, मेरे फिरदौस-ए-जवां तक आओ
तेग की तरह चलो छोड़ के आगोश-ए- नियाम
तीर की तरह से आगोश-ए-कमां तक आओ
फूल के गिर्द फिरो बाग में मानिंद-ए-नसीम
मिस्ल-ए-परवाना किसी शाम-ए-तपन तक आओ
लो वो सदियों के जहन्नम की हदें खत्म हुईं
अब है फिरदौस ही फिरदौस जहां तक आओ
छोड़ कर वहम-ओ-गुमान, हुस्न-ए-यकीं तक पहुंचो
पर यकीं से भी कभी वहम-ओ-गुमां तक आओ
अली सरदार जाफरी

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